अशोक महान का जीवन

अशोक का जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में पाटलिपुत्र, पटना में माना जाता है। यह प्राचीन भारत के मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्र थे। बौद्ध धर्म के इतिहास में गौतम बुद्ध के बाद सम्राट अशोक का स्थान आता है। सम्राट अशोक ने 269 ईसा पूर्व में शासक बने। उन्होंने लगभग 36 वर्ष तक शासन किया।

सम्राट अशोक ने अपने राज्य के 8 वें वर्ष में कलिंग पर आक्रमण किया था। आंतरिक अशांति से निपटने के बाद 269 ईसा पूर्व में उनका विधिवत राज्याभिषेक किया गया। तेहरवें में शिलालेख के अनुसार कलिंग के युद्ध में 150000 व्यक्ति बंदी बनाकर निर्वाचित कर दिए गए और 100000 लोगों की हत्या कर दी गई। अशोक सम्राट ने इस नरसंहार को अपनी आंखों से देखा। इससे द्रवित होकर सम्राट अशोक ने शांति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया। कलिंग युद्ध से सम्राट अशोक के मन में कई बड़े परिवर्तन हुए, और उनका मन मानवता के प्रति दया और करुणा से भर गया। उन्होंने युद्ध क्रियाओं के लिए बंद करने की प्रतिज्ञा ली। यहां से अध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ। उन्होंने महान बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया।

अशोक को अपने शासन के 14 वर्ष में निगोथ नामक भिक्षु द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गई थी। इसके बाद मोगली पुत्र निस्स के प्रभाव से वह पूरी तरह बौद्ध हो गए थे। सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षा देने का श्रेय उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु को दिया जाता है। सम्राट अशोक अपने शासनकाल के 10 में शासक थे, जिन्होंने सबसे पहले बोधगया की यात्रा की थी। इसके उपरांत अपने राज्य अभिषेक के बीसवें वर्ष में उन्होंने लुंबिनी की यात्रा की थी, तथा लुंबिनी को करमुक्त घोषित कर दिया था।

अशोक के शासनकाल में ही पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता मोगली पुत्र निस्स ने की थी यहां अभिधम्मपिटककी रचना भी हुई, और बौद्ध भिक्षु विभिन्न देशों में भेजे गए। जिनमें अशोक के पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा भी सम्मिलित थे जिन्हें श्रीलंका भेजा गया।

अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद सम्राज्य के सभी साधनों को जनता के कल्याण में लगा दिया। अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई साधन अपनाएं।

1. धर्म यात्राओं का प्रारंभ
2. राजकीयपदाधिकारियों की नियुक्ति
3. धर्म महापात्रो की नियुक्ति
4. दिव्य रूपों का प्रदर्शन
5. धर्म श्रावण एवं धर्म उपदेश की व्यवस्था
6. लोकचारिता के कार्य
7. धर्म लिपियों को खुदवाना
8. विदेशों में धर्म प्रचार के लिए धर्म प्रचारकों को भेजना आदि।

अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धर्म यात्राओं का सहारा लिया। अभिषेक के 10 वे वर्ष में बोधगया की यात्रा पर गए। सम्राट अशोक को देवानमप्रिय और प्रियदर्शी के नाम से जाना जाने लगा।

चक्रवर्ती सम्राट द्वारा स्थापित किए गए कुल 33 अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिन्हें अशोक ने चट्टानों, सतम्भो, गुफाओं की दीवारों में अपने 269 ईसा पूर्व से 231 ईसा पूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। यह आधुनिक बांग्लादेश, भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल में कई जगह पर मिलती है और बौद्ध धर्म के अस्तित्व की सबसे प्राचीन प्रमाणों से में से है।

अशोक ने लगभग 36 वर्षों तक शासन किया जिसके बाद लगभग 232 ई. पूर्व में उकी मृत्यु हो गई।