भारत में बौद्ध समाज की परिभाषा

कुछ लोग अपने आप को बौद्ध कहते हैं। आखिर बौद्ध किसे कहें? वर्तमान भारत में बौद्ध कौन है? इसके लिए सबसे पहले समाज को और बौद्ध को अलग-अलग परिभाषित करना होगा।

1. समाज किसे कहते हैं ?

उत्तर - व्यक्तियों के समूह को समाज कहते हैं। यही सरल परिभाषा है। अन्य लेखकों ने समाज को अन्य तरीकों से भी परिभाषित किया है।

2. समाज के समूह के आवश्यक अंग कौन से हैं ?

उत्तर - समाज के समूह के आवश्यक अंग समाज का दर्शन, चरित्र एवं ज्ञान है। इन तीनों का सम्यक होना आवश्यक है।

3. बौद्ध समाज किसे कहते हैं ?

उत्तर - इसको परिभाषित करना इतना आसान नही है। फिर भी सरल भाषा में बताना उचित होगा। जो समाज दर्शन, ज्ञान, चरित्र को सत्य की कसौटी पर खरा उतारें। पूर्व से लेकर वर्तमान में समता, समानता, बंधुता, व्यवस्था आज भी वैसी ही बनाये रखें जो कि पूर्व में थी। इसका साक्ष्य बुद्ध दर्शन और बोधिसत्व बाबासाहेब के सम्पूर्ण वांग्मय में लिखित है।

4. बौद्ध व्यक्ति कि धार्मिक और संवैधानिक पहचान कैसे करें ?

उत्तर - जो व्यक्ति जैन, सिख, ईसाई, पारसी, हिन्दू के अलावा ब्रह्मा समाज, सम्यक समाज, दलित समाज, शूद्र समाज, प्रार्थना समाज, चोखामेला समाज, राय समाज, मूल निवासी समाज, बहुजन समाज एवं अन्य समाज, समुदाय का सदस्य न हो। ऐसा व्यक्ति जो कि अनुसूचित जाति / जनजाति और पिछड़ा वर्ग एवं अन्य धार्मिक समुदाय का सदस्य न हो।

--- महत्वपूर्ण बिंदु ---

5. कोई भी व्यक्ति बुद्ध का नाम लेने मात्र से या उनकी शिक्षाओं का प्रचार करने मात्र से वो व्यक्ति बौद्ध नहीं हो जाता है। संविधान के आर्टिकल 25 में किसी भी भारतीय नागरिक को किसी भी धर्म के आचरण की स्वतंत्रता प्राप्त है, की वो किसी भी धर्म का आचरण कर सकता है। ये उसकी स्वतन्त्रता है। लेकिन कोई व्यक्ति अगर मस्जिद में जाता, गुरुद्वारे में जाता है, मंदिर में जाता है, बुद्ध विहारों में जाता है, तब उस व्यक्ति की धार्मिक पहचान कैसे कर सकते हो? और भारत का संविधान उस व्यक्ति की पहचान कैसे करेगा? क्योंकि वो आर्टिकल 25 की स्वतंत्रता के अनुसार सब जगह जाता है। अब उसकी धार्मिक और कानूनी पहचान संविधान किस आधार पर करेगा?

6. व्यक्ति एक धर्म से दूसरे धर्म मे जाना चाहता है,तब वो अपनी पहचान कैसे स्थापित करेगा,और उसके लिए संविधान के अनुसार उसकी क्या प्रक्रिया है ?

1. अगर कोई व्यक्ति ईसाई है वो मुस्लिम बनना चाहता है, कैसे बनेगा ?

2. अगर कोई व्यक्ति मुस्लिम है,वो सिक्ख बनना चाहता है, वो कैसे बनेगा ?

3. अगर कोई व्यक्ति सिक्ख है, वो जैन बनना चाहता है,कैसे बनेगा ?

4. अगर कोई जैन है, वो सिक्ख बनना चाहता है,कैसे बनेगा ?

5. अगर कोई व्यक्ति हिन्दू है, वो सिक्ख, जैन, पारसी, ईसाई, मुस्लिम बनना चाहता है, कैसे बनेगा ?

इस पर क्या कानूनी प्रक्रिया है ?

अगर इन सबके लिए कानूनी प्रक्रिया है तब वो बौद्धो के लिए भी होगी। जब बात बौद्धो की होती है, तब कानूनी प्रक्रिया से वो परहेज करके आचरण पर क्यों चले जाते है,क्योंकि आचरण तो अन्य धर्मो में भी होते है,लेकिन आचरण की स्वतंत्रता मिलने मात्र से और करने मात्र से क्या कानूनी पहचान हो जाती है ?

7. जब एक बात बौद्ध धर्म के सन्दर्भ में कहीं जाती है, की बौद्ध धर्म मे जातियां नहीं होती है, तब बौद्ध धर्म की बात करने वाले सिर्फ बौद्ध और बौद्ध समाज की बात न करके बौद्ध धर्म मे अपने अनुसार कौनसी व्यवस्था स्थापित करना चाहते है।

8. बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाओं की बात करते है,तो बाबा साहेब ने 22 प्रतिज्ञा किस सन्दर्भ में रखी, ताकि पूर्व की व्यवस्था के साथ, और पूर्वग्राह से ग्रसित होकर कोई भी बौद्ध धर्म को स्वीकार करेगा तो वो बौद्ध धर्म मे वर्ण व्यवस्था को स्थापित करने का प्रयास करेगा, और बाबा साहेब ने स्प्ष्ट कहा है की बौद्ध धर्म को वर्णाश्रम की बेड़ियों से मुक्त रखना है। बौद्ध धर्म मे किसी प्रकार का आडम्बर और पाखण्डवाद नहीं है, और ये 22 प्रतिज्ञा बौद्ध धर्म मे पाखण्डवाद को रोकने का कार्य करती है। इसीलिए बौद्ध धर्म की बात करने वाले लोग आचरण की बात तो करते है, लेकिन उन 22 प्रतिज्ञाओं को नजरअंदाज करने का प्रयास करने का कार्य करते है।

--- विशेष सार ---

बौद्ध समाज की पहचान और बौद्ध समाज की विशेषता डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने स्प्ष्ट की हुई है,और बौद्ध समाज के निर्माण की बुनियाद बाबा साहेब की ऐतिहासिक धम्म दीक्षा जो 14 अक्टूबर 1956 को हुई जहां बाबा साहेब ने उपासकों को संगठित करने के लिए बौद्ध धम्म में उपासकों के लिए एक परिवर्तन करके दीक्षा विधि का आरंभ किया और और उसी प्रक्रिया के अनुसार उन्हें आगे बढ़ते हुए अपने नामन्तर और धर्मान्तर की प्रक्रिया को पूरा करना होगा,जो बाबा साहेब ने अपने भाषण मुक्ति 'कौन पथे' में स्प्ष्ट किया हुआ है। बौद्ध समाज की अवधारणा पर अगर कार्य किया होता तो जो विशेषता बाबा साहेब ने बताई उस दिशा की बात करते और बौद्ध समाज का निर्माण आज भारत में मजबूती से पूरा हो चुका होता,बुद्ध और उनके धम्म में बौद्ध धम्म के पतन का कारण और बौद्ध समाज की विशेषता जब बाबा साहेब ने स्पष्ट कर दी है तब बौद्ध समाज निर्माण का कोई भी व्यक्ति उसका श्रेय नहीं ले सकता क्योंकि उसका श्रेय बोधिसत्व डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जी को ही जाता है । हमे तो जो बाबा साहेब ने कारंवा स्थापित किया उसे आगे बढ़ाने का कार्य करना है, जिसके लिए त्याग की आवश्यकता है, समर्पण की आवश्यकता है, श्रेय लेने की नहीं । आज बौद्ध समाज की बुनियादी नींव उसी पर टिकी हुई है,जो बाबा साहेब ने बुद्ध और उनके धम्म में स्प्ष्ट दी हुई है।

लेखक - आर एल बौद्ध, राजस्थान