सम्यक शब्द का क्या अर्थ है?
"सम्यक" का अर्थ है "सही" या "ठीक"। जब हम बौद्ध धर्म के संदर्भ में बात करते हैं, तो "सम्यक दृष्टि" का अर्थ है सच्ची और सही दृष्टि या दर्शन। यह धारणा बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण है जिसमें सम्यक दृष्टि को विकसित करने का प्रयास किया जाता है, जो कि आत्मज्ञान और सत्य को समझने में सहायक होता है। इससे व्यक्ति का ज्ञान, उनका आचरण, और उनके निर्णय में सटीकता और नैतिकता बढ़ती है।
बौद्ध धर्म में प्राचीन ग्रंथों और शिक्षाओं के अनुसार, पांच परिपक्ष का महत्वपूर्ण रोल होता है। ये परिपक्ष व्यक्ति को एक सही और सात्विक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
1. सम्यक दृष्टि
इसका अर्थ है सही दृष्टिकोण या सही धारणा। यह व्यक्ति को सत्य को समझने और ज्ञान को प्राप्त करने में सहायक होता है। उदाहरण के रूप में, एक व्यक्ति जो सम्यक दृष्टि रखता है, वह सत्य, कर्म, और कर्मफल के बीच अन्याय और विचारविमर्श करता है।
2. सम्यक संकल्प
यह व्यक्ति के मन में सही संकल्प और उद्देश्यों की प्रेरणा को दर्शाता है। इसमें आदर्श और नैतिकता के साथ सही कार्य करने की भावना शामिल होती है। उदाहरण के रूप में, एक सम्यक संकल्प वाला व्यक्ति अपने कर्मों में सात्विकता, उपकार, और सम्मान को बनाए रखने का उद्देश्य रखता है।
3. सम्यक वचन
यह व्यक्ति के भाषण और वाणी को सही और नैतिक रूप से उपयोग करने की क्षमता को दर्शाता है। इसमें अहिंसा, सत्य, अनुग्रह, और संयम का पालन करने की भावना होती है। उदाहरण के रूप में, सम्यक वचन वाला व्यक्ति अपने भाषण में सत्य का पालन करता है और दूसरों के प्रति आदरणीय और सहानुभूति दिखाता है।
4. सम्यक कर्मान्त
इसका मतलब है सही कर्म और आचरण करने की क्षमता। यह व्यक्ति को नैतिकता, न्याय, और सत्य के साथ आचरण में सहायक होता है। उदाहरण के रूप में, एक सम्यक कर्मान्त वाला व्यक्ति अपने कार्यों में सत्य, अहिंसा, और न्याय का पालन करता है।
5. सम्यक आजीविका
यह व्यक्ति के अर्थात्मक गतिविधियों और उपयोगिता के साथ संबंधित है, जो कि नैतिक और सही होनी चाहिए। उदाहरण के रूप में, सम्यक आजीविका वाले व्यक्ति न्यायपूर्ण और सात्विक रूप से अपने व्यवसाय या काम का चयन करता है।
इन पांच परिपक्षों के माध्यम से, बौद्ध धर्म व्यक्ति को सही जीवन मार्ग पर ले जाने में मदद करता है और उसे सात्विक और नैतिक बनाने में सहायता प्रदान करता है।